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29 May 2024 · 1 min read

नववर्ष

नव वर्ष तुम्हारा मंगल हो !
नव वर्ष हमारा मंगल हो !

कडवे-खारे, खट्टे-मीठे
अनुभव का पिछला वर्ष रहा।
धूप-छाँव के खेल में जीवन
शोक-विषाद या हर्ष रहा।
जो बीत गई सो बीत गई,
अब सोच उसे पछताना क्या!
नववर्ष तुम्हारा मंगल हो!
नववर्ष हमारा मंगल हो !

साथ चले थे कितने ही,
जो, छूट गए संगी-साथी।
बचपन के ख्वाब रहे, छूटे,
नवयुग के नये-नये साथी।
अविचल हों , सबके प्राण रहें।
हर जीवन का बस त्राण रहे।
छूट गए और जुड़ गए को गिन,
हँसना-रोना-चिल्लाना क्या?
नववर्ष तुम्हारा मंगल हो!
नववर्ष हमारा मंगल हो!

तुमने भी तो पिछले नाते तोड़ लिए थे,
नए साथ के लिए पुरानी रस्में छोड़ दिए थे।
हमने भी तो हाथ बढ़ाया मन रखने को,
हम भी कहाँ उठे नया इतिहास गढ़ने को।
नये वर्ष में, चलो, नया एक काम करते हैं,
कुछ तुम आओ, कुछ हम आएँ, एक पैगाम करते हैं।
भूले-बिसरे वर्षों से कुछ सपनों को ज़िन्दा करते हैं।
बिखर पड़े जो रिश्ते हैं , अब उनको ज़िंदा करते हैं।
नये वर्ष में नये-नये परिवर्तन से घबराना क्या!
नववर्ष तुम्हारा मंगल हो !
नववर्ष हमारा मंगल हो!

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