*नववर्ष*
नववर्ष
नववर्ष आया।
प्रज्वलित हुए दीप आशाओं के,
निराशा के क्षण पीछे छोड़
जीवन उमंग लाया।
नव वर्ष आया।
आनंदित हृदय,
खिलते मन उपवन,
अंधकारपूर्ण चक्षुओं में,
टिमटिमाते तारे रूपी
स्वपन के पट खोल,
आशा की लहर लाया।
नव वर्ष आया।
युवकों में खिलती यौवन की
पुष्पांजलि।
किलकारियां बालकों में,
जीने की चाह लिए,
स्वास्थ्य सजग बुजुर्गों में
भाव लाया।
नव वर्ष आया।
नारी रूपी शक्ति को पहचान,
हो उनका सम्मान।
शराब जैसी विषमताओं से दूर,
जातिवाद की बेड़ियों को तोड़,
जीवन में प्रयत्नशील होने
व आगे बढ़ाने की चाह लाया,
नव वर्ष आया।
पंचांग में नए दिनांक संग,
कई प्यारे त्यौहार लाया,
नव वर्ष आया।
आओ करें प्रण इस नववर्ष पर,
जीवन में परिवर्तन लाएंगे,
सदा ही गलत के प्रति,
ऊंची आवाज उठाएंगे।
संस्कृति की धरोहर बहाकर,
भारत को गौरवपूर्ण,
पद दिलाकर।
एक नया इतिहास रचाएंगे।
इस नव वर्ष को,
उल्लास पूर्ण बनाएंगे।
डॉ प्रिया ।
अयोध्या।