नववर्ष : स्वागत और विदाई
आइए हंसी खुशी
विदा हो रहे दो हजार तेईस से
न ईर्ष्या द्वेष नफरत करें
न कोई शिकवा शिकायत करें,
जो बीत गया उसे लौटा नहीं सकते
और न ही बीते दिनों में लौटकर
कुछ भी अच्छा या खराब कर ही सकते हैं।
फिर जाते हुए मेहमान से
दुःखी होकर भी क्या पा सकते हैं?
बीती बातों को बिसार दो
जितने उत्साह से नववर्ष के स्वागत में
पलक पाँवड़े बिछा रहे हो
उतने ही उत्साह से जाते हुए वर्ष को विदा भी करो।
आखिर तीन सौ पैंसठ दिन उसनें भी तो
जैसे भी हो साथ निभाया तो है
वादा इतने ही दिन साथ निभाने का था
जिसे ईमानदारी से निभाया भी है,
अब जा रहा हो, फिर लौटकर नहीं आयेगा
हमारी स्मृतियों से निकल भी नहीं पायेगा
पर हमसे हमेशा के लिए दूर हो जायेगा।
लेकिन साथ निभाने के लिए
हमें अपना भाई दो हजार चौबीस
फिर भी सौंप ही जायेगा।
दो हजार चौबीस का खुले मन से
स्वागत, वंदन, अभिनंदन कीजिए,
तेईस की खीझ न चौबीस पर निकालिए,
तेईस जैसा भी था अब जा ही रहा है
चौबीस अपनी नयी ऊर्जा के साथ
तीन सौ छासठ दिन के लिए आ ही रहा है।
बस थोड़ा संयम रखिए
अपना रवैया बदलिए,
दोष लगाने से अच्छा है
पहले खुद में भी झांक लीजिए।
उत्साह उमंग या अतिरेक से बचकर रहिए।
अपना और अपनों के साथ साथ
समाज, राष्ट्र और संसार का भी
थोड़ा थोड़ा ही सही ख्याल भी करें।
संयम, सद्भाव, सदाचार, प्रसन्नता संग
जाने वाले को विदा करें कीजिए
आने वाले का स्वागत कीजिए ।
दो हजार तेईस तुझे विदा देते हैं
तुम्हारे जाने से मन बहुत भावुक हो रहा है
मगर आना जाना तो संसार की रीति है
दो हजार बाइस गया था तब तुम आये थे
अब तुम जा रहे हो तभी तो
हम दो हजार चौबीस के स्वागत में
फूल माला लिए सबके संग खड़े हैं।
नववर्ष के साथ सुखद यात्रा की आस लिए हैं
विदाई और स्वागत का एक साथ
नव अनुभव महसूस कर रहे हैं।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.