नववर्ष संकल्प
ये पिछला साल जो गुज़र गया ,
एक क़हर सा जो ब़रपा गया ,
किंकर्तव्यविमूढ़ से हम देखते रहे ,
अचानक आई विपदा को सहते रहे ,
निष्ठुर नियति ने यह क्या चक्र चलाया ,
जिस में उलझा निरीह मानव था बौखलाया ,
काल के विकराल गाल में कुछ अनायास ही समा गए ,
अच्छे स्वस्थ जीवंत कुछ अचानक ही बीमार पड़ गए ,
मृत्यु की भयावह कल्पना आतंकित कर गई ,
स्वतंत्र उन्मुक्त जीवन की परिभाषा बदल कर रह गई ,
संक्रमण से सुरक्षा हेतु जीवन बंदी होने बाध्य हुआ ,
त्रासदी निर्मित कटु यथार्थ भोगने विवश हुआ ,
मृत्युपरंत् देह भी क्रिया कर्म से वंचित हुई ,
मनुष्य की स्थिति बद से बदतर होती प्रतीत हुई ,
रिश्तो के मायने बदल गए ,
संगी साथी दूरियां बनाने विवश हुए ,
मानव संवेदनहीनता की पराकाष्ठा प्रकट हुई ,
त्रासदी में शारीरिक कष्ट से अधिक मानसिक वेदना अनुभूति हुई ,
परिस्थितिजन्य महंगाई , बेरोजगारी , बीमारी एवं लाचारी का वातावरण निर्मित हुआ ,
भविष्य प्रति चिंतित मानव असहाय , निराश सा प्रतीत हुआ ,
महामारी सुरसा का रूप लेकर मृत्यु तांडव मचा रही थी ,
विभीषिका से मृत्यु दर में कमी नहीं आ रही थी ,
महामारी के विरुद्ध संघर्षरत योद्धाओं के सतत् प्रयासों से संक्रमण एवं मृत्यु दर में कमी आई ,
चिकित्सा प्रयासों से बीमारी से स्वस्थ होने में सफलता पाई ,
विषाणु संक्रमण निरापद जीवन हेतु वैक्सीन खोज ने आशा की किरण जगाई ,
आइए , संक्रमण निरापद जीवन संकल्प लेकर नववर्ष में पदार्पण करें ,
जन-जन में संक्रमण विरुद्ध संघर्ष प्रेरणा जागृति आव्हान करें ,