नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन
आमोद !प्रमोद! विनोद !नवल !नव हर्ष! तुम्हारा अभिनंदन !
नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन !!
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नवसंतति के नवचेतन में फूटें अंकुर मुद -मंगलमय ।
नवचिंतन के नूतन किसलय महकें बनकर सत्कीर्ति- मलय ।
विस्मृत करके काले अतीत शोणित में हों नवभाव विलय।
कलुषित का हो देहावसान नूतनता की जय जय जय जय !!
विकृतियों संग स्वीकृतियों के संघर्ष तुम्हारा अभिनंदन!
नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन!!
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उल्लास के भाव भरी गठरी भरकर हिय डाँवाडोल उठें।
अभिसिंचित नवल ज्योत्स्ना से अन्तरतम के पट खोल उठें।
सौहार्द के बिगुल बजें ऐसे तन डोल उठें मन डोल उठें।
ढाई अक्षर से मोहित हो गूँगी आँखें भी बोल उठें।
खिल उठें अधर पर मुस्कानें गा उठें ह्रदय के स्पंदन।
नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन!
नववर्ष तुम्हारा अभिनन्दन!!
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संजय नारायण