नवल वर्ष का नवल हर्ष के साथ करें हम अभिनंदन
नवल वर्ष का नवल हर्ष के साथ करें हम अभिनंदन
विगत वर्ष को अश्रुपूरित हाथ जोड़ सादर वंदन
नीलगगन से नवल लालिमा बिखराता आया दिनकर
मंद चल रही वायु छेड़े सरगम नाच रहे मधुकर
नन्ही नन्ही कलियों ने खोलीं आँखें गुलशन गुलशन
बालक और युवाओं में नये जोश उमंग झलकते हैं
वृद्घ तक रहे बीते सावन जो यादों में बरसते हैं
क्या खोया क्या पाया अब तक मनीषी आज करें चिंतन
झड़ी लगी शुभ आशीशों की चारों ओर दुआएँ हैं
नए साल के साथ हृदय में नए मनोभव आए हैं
उत्सव की तैयारी जग को सज़ा रही जैसे दुल्हन
आशाओं के फूल खिलाता नया वर्ष यूँ आया है
उम्मीदों का सावन बनकर नीलगगन पर छाया है
बन मयूर मन नाचे जैसे सारी धरती हो मधुबन
कंचन