नवरात्रि के आगमन पर
आ रही हैं
कल से मैया ।
प्यारी मैया ,
सबकी मैया ।
कल से
होंगे रतजगे ।
भगतें होंगी ,
भजन भी होंगे ।
दारू बाले
दारू छोड़ेंगे
नवदिन तक ।
मांसाहारी
हो जाएंगे
शाकाहारी ,
बिल्कुल-
शुद्ध पवित्र ।
लहसुन, प्याज
छोड़ देंगे ये
लेकिन केवल
नवदिनों तक ।
लबरे भी
संकल्प ले रहे
झूठ नहीं
बोलेंगे नवदिन ।
संकल्पित हो
गये मनचले
बुरी नज़र
न डालेंगे हम ।
नवदिन बस
कट जाएं सुख से
फिर दुश्मन
को हम देखेंगे ।
मैया करना
दया तू ऐंसी
शत्रु हो बर्बाद हमारा ।
प्यारी मैया,
सच्ची मैया ,
तो कर दूंगा मैं भंडारा ।
ईश्वर दयाल गोस्वामी ।
कवि एवं शिक्षक ।