नवयुग का भारत
ऐ वतन तेरी इस मिट्टी पर
जब जब भी संकट छाया है
तब तब हम विध्नों को चीर
भारत मां की लाज बचाया…
गढ़ने दो कपटी दुर्योधन को
अभिमन्यु सा चक्र व्यूह
फेंकने दो गंधार नरेश को
उसकी कपटी पासा को
ये पहले वाला दिन नहीं
न ही 1962 वाला भारत है
दुश्मन हमें नैन दिखलाए
उसकी नैन नोच फेंकेंगे हम
ये नया उभरता खिलता हुआ
नव युग का नया भारत है…
राजगुरु , सुखदेव , भगत सिंह
आजाद, बिस्मिल्ला जैसे हमारे वीर
मिट गए निज वतन पर बारी बारी
उन्हीं तमाम वीरों की शहादत से
यह अपना भारत आजाद हुआ
यह वीरों की धरती है संतों की भूमि है
बहादुरों, बगावतों,बलिदानों की भूमि है
इस माटी में हमने जन्म लिया…
यह गर्व से कम नहीं है यह गर्व से कम…
यूं ही जीने और न मरने आए हैं हम
दुनिया को अमिट निशानी देने आए हैं हम…
यह अपना भारत आदिकाल से जगमगाता रहा
सोना, चांदी , ज्ञान, विज्ञान से सदा अलंकृत रहा
जिससे दुश्मन भी हमारी ओर सतत् लुभाता रहा
और इस अलंकृत भारत को बार बार लूटता रहा
भारत को बर्बाद करने की साज़िशों में लगा रहा
अपना भारत विश्व बंधुत्व की राह पर चलता रहा
अब वो समय, वो दौड़, वो युग, वो काल न रहा
दुश्मन हमें नैन दिखलाए,उसकी नैन नोच फेंकेंगे हम
ये नया उभरता खिलता हुआ, नव युग का नया भारत है…