नवदुर्गा का भोग
नवदुर्गा का भोग
मैं गरीब अवगुणों से भरी,
कैसे तुझे रिझाऊं।
रुखा -सुखा भोग में मैया,
आके तुझे चढ़ाऊं।
पहले शैलपुत्री जी ध्याऊं,
माखन मिश्री भोग लगाऊं,
सदा निरोगी मैं हो जाऊं,
आके तुझे चढ़ाऊं,ओ मैया आके तुझे चढ़ाऊं।
द्वितीय ब्रह्मचारिणी मनाऊं,
फल -मेवा मे ला चढ़ाऊं,
सदा प्रसन्न चित्त मैं हो जाऊं,
आके तुझे रिझाऊं, ओ मैया आके तुझे रिझाऊं।
तृतीय चंद्रघंटा मां बुलाऊं,
पान- सुपारी लौंग, खिलाऊं,
हर दुखों से मुक्ति पाऊं,
आके तुझे रिझाऊं ,ओ मैया के तुझे रिझाऊं।
चतुर्थ दिवस कुष्मांडा ध्याऊं,
हलवा पूरी में मात खिलाऊं,
सदा वैरियों से बचती जाऊं,
आके तुझे मनाऊं, ओ मैया आके तुझे मनाऊं।
पंचम दिवस स्कंदमाता मनाऊं,
दूध- केले का भोग लगाऊं,
विषय विकारों से छुट जाऊं,
आके तुझे रिझाऊं, माता आके तुझे रिझाऊं।
छठे दिवस मां कात्यायनी पधारो,
शहद का आके भोग लगाओ,
आकर के आकर्षण बढ़ाओ,
अपनी कृपा बरसाओ, ओ मैया अपनी कृपा बरसाओ।
सप्तम को कालरात्रि बुलाऊं,
गुड़ और घी का भोग लगाऊं,
धोखे संकट से मुक्ति पाऊं,
तुझ पे बलि- बलि जाऊं, ओ मैया तुझ पे बलि- बलि जाऊं।
अष्टमी मां महागौरी मनाऊं,
हलवा पूरी नारियल चढ़ाऊं,
सदा सुहागन का वर पाऊं,
जीवन सफल बनाऊं, ओ मैया जीवन सफल बनाऊं।
नवमी मां सिद्धिदात्री ध्याऊं,
तिल रेवड़ी का भोग लगाऊं,
बुद्धि -विद्या का वर पाऊं,
जग में नाम कमाऊं,ओ मैया जग में नाम कमाऊं।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश