नवजीवन
नवजीवन जब होता आगमन
इस अनोखी सी जग, संसार में
उसमें भरी रहती जोश, उत्साह
नई ऊर्जा, उमंग और चेतना यहां।
जब किसी व्यक्ति लगती ठेस
और टकोर जब होती घातक
तब उनकी खुलती नयनें उनकी
और नवजीवन का होता निर्माण।
जैसे- तैसे हमसब होते जवान
हममें उत्तम- अधम आदतें आती
घातक अधम बातें करती है स्तब्ध
तव चित्त में नवजीवन होते सुचारू।
कभी कभी अक्सर नर- नारी
इस भू, धर, जगत, संसार में
नवजीवन के निर्वाण होने से
अक्सर उमदा कार्य कर छा जाते।
नवजीवन वाले मनुजों के भीतर
कूट- कूट कर नई ऊर्जा, उत्साह
भरी हुई होती इस भव्य खलक में
इसी से यशस्वी, प्रतापी होते ख्यात ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार