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15 May 2022 · 1 min read

नवगीत –

चेहरा साँसे
चंचल आँखें
चमड़ी पर इठलाना मत

बाहर से है
चिकना जितना
खुरदरा भद्दा
अन्दर उतना
छैल छबीली
चाल नशीली
सुन्दरता पर जाना मत

हड्डी चर्बी
रक्त माँस
सभी समान
बहाते सॉंस’
देह जो बाँटें
नर को छाँटें
बात पर उनकी आना मत

कह गये ज्ञानी
बात पुरानी
दुनिया है
ये आनी जानी
झूठी काया
हावी माया
महिमा उसकी गाना मत .

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 308 Views
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