नवगीत
माँ के हाथों सा लगे
नर्म धूप का स्वाद
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माँ के हाथों सा लगे
नर्म धूप का स्वाद…
ख्वाबों के स्वेटर बुनें,
झुर्री वाले हाथ
सर्दी में दुबका कहीं
अपनेपन का साथ
चिकने विंटर क्रीम से
मतलब के संवाद
अगहन आता देखकर
करे गरीबी शोध,
ठंडे चूल्हों को हुआ
फिर से विस्मय बोध!
फटी एड़ियाँ बांच रहीं
जीवन का अनुवाद
सूरज की अठखेलियाँ
करे पूस को तंग,
रात ठिठुरती देखकर
फिर से हल्कू दंग
फटे चीथड़े कर रहे
कम्बल से फरियाद
मीनाक्षी ठाकुर, मिलन विहार
मुरादाबाद 15.12.21