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11 Aug 2019 · 1 min read

नवगीत

‘‘कि बारिश आनेवाली है’’
***********************

घिरे बादल-बदली, घनघोर,
धरा पर, नाच उठे हैं मोर,
कि बारिश आनेवाली है.
*
सावन चला गया, चुपके से,
भादों मस्ती में,
सडकों पर, पानी उतराया,
सूखी बस्ती में,
बना है, मौसम कुछ चितचोर,
घटाएँ, हुईं बहुत मुँहजोर,
कि बारिश आनेवाली है.
*
इन्द्रधनुष की, एक छटा ने,
घूँघट है खोला,
खिड़की से ही, झाँक रहा है.
किरणों का टोला,
बूँद के, नयनों में है लोर,
हँसा है, गाँवों का हर छोर,
कि बारिश आनेवाली है.
*
आधी आस्तीनों की, एक
कमीज, खेत पहने,
पगडण्डी पर, खेल रहे हैं,
फसलों के टहने.
खुशी की हवा, पकड़कर डोर,
चली है, सज मधुवन की ओर,
कि बारिश आनेवाली है.
*
नया निकलता हुआ मुँहबँधा
एक नरम पत्ता
मकई की, गोदी में लिपटा,
सुधियों का लत्ता,
जगा है, अभी-अभी ही भोर,
बाँधता, वह बछिया को खोर,
कि बारिश आनेवाली है.
*
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ

Language: Hindi
633 Views
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