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24 Dec 2018 · 1 min read

नवगीत

पहन रहा है मोजा जूता
———————

पहन रहा है मोजा जूता
सता रहा है शीत

दस्तानों से बिठा लिये हैं
अंगुलियों ने ताल
ठण्डी रोटी सेंक रहा है
गरम तवे पर थाल
ओस अवनि के पत्तों-पत्तों
विरच रही है गीत

वस्तुवाद के वास्तुशिल्प पर
नींव उठाती धूप
फेंक रहा मुँह बाफ-फुहारा
नहा रहा नलकूप
गहन कुहासा सोता-जगता
मड़ई है भयभीत

लकड़ी का बूरा बटोरकर
आग जलाता भोर
दाँतों से रस चूस रहा है
पथिक ईख का पोर
ध्यानयोग के इतिहासों का
पन्ना पढ़े अतीत

गरम चाय की चुसकी लेता
भरा पियाला होंठ
निकले सूरज झाँक रही है
कौड़ा बैठी गोंठ
चरी चली है भैंस चराने
मथ माठा नवनीत

***
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ

Language: Hindi
503 Views
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