नवगीत – पहचान लेते थे
दूर से जिनको
कभी पहचान लेते थे
आज अपने को
करीबी मानतें हैं
दर्द दिल के पर
मेरे नही जानतें हैं
जान ही लेते हैं
जो कभी जान लेते थे
दूरियों में भी कभी
नज़दीकियाँ थी
बातें थी फैली मगर
बारिकियाँ थी
कुछ कहे को
अनकहा भी मान लेते थे
प्यार के किस्से
बदलते जा रहे हैं
इस तरह अपने
फिसलते जा रहे हैं
प्यार में कभी
ज़िन्दगी संधान लेते थे