#नवगीत//किसी एक अंदाज़ से
#नवगीत – किसी एक अंदाज़ से
हर कोई सुंदर होता है , अपने अलग मिजाज़ से।
मालिक ग़लत नहीं हो सकता , किसी एक अंदाज़ से।।
हीन भावना छोड़ो यारों , ताक़त निज पहचान कर।
कुछ भी कर सकते हो तुम , देखो मन में ठान कर।
काली कोयल सबको भाये , मीठी-सी आवाज़ से।
मालिक ग़लत नहीं हो सकता , किसी एक अंदाज़ से।।
पाहन अगर तराशा जाए , मंदिर का भगवान हो।
बूँद मिले जो गंगा जल में , पावन उसका स्थान हो।
बाज हृदय हर लेता सबका , नीलगगन परवाज़ से।
मालिक ग़लत नहीं हो सकता , किसी एक अंदाज़ से।।
सभी चराचर अनमोल यहाँ , सबकी अपनी शान है।
लकड़ी भीतर आग लिए है , हृदय बाँसुरी तान है।
सुप्त-शक्तियाँ मानव अंतर , शक्तिवान बन राज़ से।
मालिक ग़लत नहीं हो सकता , किसी एक अंदाज़ से।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
#सर्वाधिकार सुरक्षित नवगीत