#नवगीत//अतिउत्तम
#नवगीत
चुनना है तो अतिउत्तम चुन , दाद मिले उपहार में।
करना है तो अतिउत्तम कर , मग्न करे दीदार में।।
जीवन हमको अनमोल मिला , जीना हरपल शान से।
हृदय सभी का जीत लीजिए , मधुर मौन मुस्क़ान से।
गीत सुरीले सबको भाएँ , मानव यूँ संस्कार में।
करना है तो अतिउत्तम कर , मग्न करे दीदार में।।
जो होना वो होकर रहता , निशिवासर के खेल-सा।
तेल गगरिया पर जल फिसले , संग रहे अनमेल-सा।
जो संभव कर यत्न उसी में , मज़ा नहीं बेकार में।
करना है तो अतिउत्तम कर , मग्न करे दीदार में।।
व्यर्थ तनाव भरा जीवन है , सोना चाँदी जोड़कर।
एक किराये का घर जग है , जाना है सब छोड़कर।
मौज़ लिए मस्ती में जीना , इंसानी व्यवहार में।
करना है तो अतिउत्तम कर , मग्न करे दीदार में।
चुनना है तो अतिउत्तम चुन , दाद मिले उपहार में।
करना है तो अतिउत्तम कर , मग्न करे दीदार में।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
#सर्वाधिकार सुरक्षित रचना