नर नारी
नर – -नारी
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ब्रह्म सृष्टि के सरुप दो , नारी नर दो जान
एक बिना दूसरे का , वजूद तू मत मान
जैसे चलते धुरी पर , गाड़ी के दो पाट
नारी नर पर टिके है, मनुज जाति के ठाट
साथ रहे जब प्रेम से , होता जीवन पूर
हो वैचारिक एकता , दिखता जीवन नूर
जीवन गाड़ी फेल तो , जीवन में टकराव
सरपट आगे बढ़े तो , जीवन में मधु छांव
राही दोनों सृजन के , इनसे है इतिहास
अमिट प्रेम की निशानी, चहका सा मधुमास