नर्म धुप
मुक्तक
नर्म धूप गर्म हुई
कपड़ों में शर्म हुई
समय का भरोसा क्या
इल्लत ही कर्म हुई
@डा०रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता /साहित्यकार
सर्वाधिकार सुरक्षित
मुक्तक
नर्म धूप गर्म हुई
कपड़ों में शर्म हुई
समय का भरोसा क्या
इल्लत ही कर्म हुई
@डा०रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता /साहित्यकार
सर्वाधिकार सुरक्षित