नर्मदा परिचय गीत
अमरकंठसे निकलीथी जोपहुँची कहाँ जलधार सुनो।
जीवनदायिनी मातु नर्मदे का पूरा विस्तार सुनो।।
इकतालीस सहायकनदियाँ पंद्रह जिलोंमें मिलतीहैं
पाँचप्रमुख हैं जलप्रपातकी महिमाअपरम्पार सुनो।।
अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला ,जबलपुर से नरसिंहपुर।
रायसेन, होशंगाबाद ,सीहोर से हरदा आयी लहर।।
देवास, खंडवा से खरगौन बड़वानी से धार तक।
अलीराजसे मध्यप्रदेशकी करती सीमा पार सुनो।।
जलप्रपात ये कपिल ,दुग्धधारा रमणीय मनोहर हैं।
धुँआधार,मंधार प्राकृतिक सहस्रधाराअतिसुन्दर हैं।
वन पर्वत चट्टानों से टकराकर राह बनाई है।
मगर तीस बाँधों ने रोकी प्रबल वेग की धार सुनो।
नदियाँ सिंगली,हिरन,वारना,शीप ,कोलार ,चन्द्रकेशर।
चौरा,मालन,मान, हथिनी, हालोन ,देबड़ा और बंजर।।
शेर,सीतारेवा,शक्कर ,दुधी ,तवा , कुंदी, गंजाल।
वेदा ,गोई ,जामनेर ,कावेरी, दातुनी ,गार सुनो।।
कोटितीर्थ में तीनसरोवर सरस्वती ,पुष्कर और कबीर।
तीन राज्य तैंतीस तटीय शहरों में बहता पावन नीर।
कुल तेरह सौ बारह(1312) बहती,दस सौ सतत्तर (1077)मध्यप्रदेश।
कुंड की बूँद से तीन राज्य तक का विस्तृतआकार सुनो।
कारखानों उद्दोगों और नालों का पानी बंद करो।
जलसंरक्षण का सब मिलकर ज्योति उचितप्रबंध करो ।
प्रतिमा विसर्जन,रेत खनन ,पिंडदान पूर्ण प्रतिबंधित हो।
पतित पावनी हैं कष्टों में भक्तों और सरकार सुनो।
श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव