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4 Jan 2022 · 1 min read

नरक स्वर्ग

दोहे

नरक स्वर्ग सब है यहीं, नहीं कहीं भी और।
हांसी-ठठ्ठे हैं स्वर्ग में, मचा नरक में शोर।।

नरक स्वर्ग के फेर में, उलझे सब नर नार।
शातिर उलझा है रहा, भय का ले हथियार।।

नरक स्वर्ग की धारणा, ले बैठी सुख चैन।
कर्म-कांड कितने किए, लगे रहे दिन रैन।।

रखी स्वर्ग की लालसा, भूल दीन की पीड़।
सता रहा दुख नरक का, नरक बनाया नीड़।।

सही भावना राखिए, स्वर्ग है यही भाव।
जले जलाए नरक में, छोड़ दीजिए ताव।।

वचन कर्म वाणी सही, स्वर्ग इसे ही जान।
दिल में हो दुर्भावना, इसे नरक पहचान।।

सिल्ला निकला इन फेर से, चला धम्म की राह।
शीलवान आचार से, तन-मन बेपरवाह।।

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
1 Like · 1506 Views
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