Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2018 · 1 min read

नये साल का संकल्प

पत्नी ने कहा :
“सुनो जी नये साल में संकल्प लो
तुम । ”
मैने कहा:” प्रिय विचार अच्छा है
लेकिन हमारी बात से मत मानना तुम बुरा”
पत्नी ने कहा :” अरे जी बुरा मानने की क्या बात है बस संकल्प की तो बात है ।”
उसने सोचा हम बोलेगे :
“शापिंग ले जाऊंगा
तुम्हारा कहना मानूँगा
नाराज नहीं करूँगा। ”
लेकिन मैं था मूड में
बोला :
” सच कह रही हो
एक बार फिर सोच लो”
वह बोली :
“अरे संकल्प तुम्हें लेना है
मे डरू क्यो?”
मैंने डरते और शरारत से कहा :
“प्रिय ठंड बहुत है
2-3 पर पारा है
ऐसा करो जनवरी
में बस जनवरी में
बर्तनों को तुम मान्जना
खास कर रात के
और मैं उन्हें पौंछ कर
जमा दिया करूँगा ”
यह सुन पत्नी ने गुर्रा कर
खा जाने वाली
निगाह से मुझे देखा
मैंने सोचा :
” नाहक ऐसा बोला
बैचारी को नाराज कर दिया ”
रात बारह बजने जा रहे है
नये साल पर
काँटा खिसक रहा है
और
मैं बरतन मांज रहा हूँ ”
हैप्पी न्यू ईयर

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
188 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं भी कवि
मैं भी कवि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
कवि रमेशराज
याचना
याचना
Suryakant Dwivedi
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,
Vindhya Prakash Mishra
आज फिर से
आज फिर से
Madhuyanka Raj
जीत हमेशा सत्य और न्याय की होती है, भीड़ की नहीं
जीत हमेशा सत्य और न्याय की होती है, भीड़ की नहीं
Sonam Puneet Dubey
खो गईं।
खो गईं।
Roshni Sharma
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Harsh Malviya
की है निगाहे - नाज़ ने दिल पे हया की चोट
की है निगाहे - नाज़ ने दिल पे हया की चोट
Sarfaraz Ahmed Aasee
ख़ुदा करे ये क़यामत के दिन भी बड़े देर से गुजारे जाएं,
ख़ुदा करे ये क़यामत के दिन भी बड़े देर से गुजारे जाएं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जीवन में...
जीवन में...
ओंकार मिश्र
असफलता का जश्न
असफलता का जश्न
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन को सुखद बनाने की कामना मत करो
जीवन को सुखद बनाने की कामना मत करो
कृष्णकांत गुर्जर
पेइंग गेस्ट
पेइंग गेस्ट
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मित्र
मित्र
Dhirendra Singh
ग़ज़ल:- रोशनी देता है सूरज को शरारा करके...
ग़ज़ल:- रोशनी देता है सूरज को शरारा करके...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
स्वयं पर विश्वास
स्वयं पर विश्वास
Dr fauzia Naseem shad
बहुत हुआ
बहुत हुआ
Mahender Singh
हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
बड़े ही फक्र से बनाया है
बड़े ही फक्र से बनाया है
VINOD CHAUHAN
ग़म बहुत है दिल में मगर खुलासा नहीं होने देता हूंI
ग़म बहुत है दिल में मगर खुलासा नहीं होने देता हूंI
शिव प्रताप लोधी
जनता का पैसा खा रहा मंहगाई
जनता का पैसा खा रहा मंहगाई
नेताम आर सी
कैसा कोलाहल यह जारी है....?
कैसा कोलाहल यह जारी है....?
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
कब किसी बात का अर्थ कोई,
कब किसी बात का अर्थ कोई,
Ajit Kumar "Karn"
चले चलो
चले चलो
TARAN VERMA
समाप्त हो गई परीक्षा
समाप्त हो गई परीक्षा
Vansh Agarwal
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
sushil sarna
मन का डर
मन का डर
Aman Sinha
!! स्वर्णिम भारत !!
!! स्वर्णिम भारत !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
■ एक शाश्वत सच
■ एक शाश्वत सच
*प्रणय प्रभात*
Loading...