|नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
हम चोर लुटेरों ने घेरे
हर सू है चीख-पुकार | इस बार ||
हम घने अंधेरों ने घेरे
दिखती न रौशनी यार | इस बार ||
हम सेठ-कुबेरों ने घेरे
सब शोषण करें अपार | इस बार ||
जल-बीच मछेरों ने घेरे
हम बने मीन लाचार | इस बार ||
सत्ता के घेरों ने घेरे
हर ओर दिखें अंगार | इस बार ||
+रमेशराज