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8 Aug 2017 · 1 min read

नये पेड़

रखे जा चुके हैं करारे लगाकर
सवालात उल्फ़त के सारे लगाकर

हैं दिल की ख़राशें गले की नहीं जो
सुकूँ आ भी जाये गरारे लगाकर

चले जायें क्यों कर ओ दुनिया-ए-दिल हम
मोहब्बत की कश्ती किनारे लगाकर

अधूरा फ़लक है बिना चाँद के शब
करे तो करे क्या सितारे लगाकर

करे कोई साबित ये सच झूठ इल्ज़ाम
हमारे ही सिर या तुम्हारे लगाकर

धधकते हैं शोले तो जलता है ईंधन
हवा थम ही जाये शरारे लगाकर

बिना सोचे समझे बिना देखे भाले
मिला क्या है नफ़रत के आरे लगाकर

चलो देखते हैं कि लगता है कैसा
नये पेड़ हम प्यारे प्यारे लगाकर

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