“नयी हुई है”
बहुत बार कर के देख ली है कोशिश,
हर बार हमेशा कि तरह हार ही हुई है…!
दफ़न हो गई है तमन्नाएं सारी मन के भीतर ही,
ओर कितनी मन्नतें मानू एक भी कहा साकार हुई है…!!
पुराने ख्वाब ज़हन में भला आयेंगे भी कैसे
नींद जो हमारी अब नयी हुई है…!!!
आरती सुधाकर सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश