नज़रें बयां करती हैं, लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
जल उठी है फिर से आग नफ़रतों की ....
*आदर्श कॉलोनी की रामलीला*
In life ever enjoy & cheer everybody Wish you lot's Happy ne
"पहले मुझे लगता था कि मैं बिका नही इसलिए सस्ता हूँ
उनके दामन से आती है खुश्बू सूकुन की.
बेटी दिवस मनाने का लाभ तभी है ,
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
वो तो मां है जो मुझे दूसरों से नौ महीने ज्यादा जानती है
स्वयं के परिचय की कुछ पंक्तियां