नदिया का नीर
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
जीवन तो सुख- दुख का संसार है
*दिन-दूनी निशि चौगुनी, रिश्वत भरी बयार* *(कुंडलिया)*
The Journey Of This Heartbeat.
समय संवाद को लिखकर कभी बदला नहीं करता
अंतस सूरत आपरी, अवळूं घणीह आय।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मात पिता गुरु बंधुप्रिय, भाखहि झूठ पे झूठ।
प्राण प्रतीस्था..........
हिंदी दोहे- पंडित
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जाने जिंदगी में ऐसा क्यों होता है ,
जब जब सफलता का आयाम लिखा,
बिन बोले सब कुछ बोलती हैं आँखें,
नफरत के कारोबारियों में प्यार बांटता हूं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"