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21 Jan 2024 · 1 min read

नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।

मुक्तक

नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।
मिले जो मुफ्त में, गंगा नहाना चाहता हूं।
कि खाना हो न हो, चिंता नहीं है यार मेरे,
मिलेगी मुफ्त में तो आ के पीना चाहता हूं।

……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी

Language: Hindi
140 Views
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