” ————————————– नया सिलसिला दिया ” !!
तुम हंस दिये अगर तो , चमन खिलखिला दिया !
बल खा के बढ़ चले तो , नया सिलसिला दिया !!
थम सा गया है शोर , हवाओं का अब यहां !
बिखरी हुई है मस्तियाँ , जादू चला दिया !!
गुनगुनाते भंवरे भी , भटके हैं राह को !
जाम तुमने सबको , नशे का पिला दिया !!
मदमाती हुइ खुशियां , तन मन पे हैं सजी !
भूल नहीं पायेगें , ऐसा सिला दिया !!
सब कुछ समेट कर ही , इठला रहे हो तुम !
धरती , गगन सभी को , तुमने हिला दिया !!
तुम जैसे और भी हैं , इसे भूलना नहीं !
हमने दिया है प्यार , कोइ कम नहीं दिया !!
बृज व्यास