“नया साल”
नया साल दहलीज पे,खङा रहा है बोल।
सूरज बांटे रोशनी,चित के पट को खोल।।
चित के पट को खोल,अन्धेरे डर कर भागेंगे।
सोये हुये हैं भाग्य तेरे तो वो भी जागेंगे।।
कह श्री कविराय,यहां सब होगें अब खुशहाल,
सबकी खातिर खुशियां लेकर आया है नया साल।।
नया साल दहलीज पे,खङा रहा है बोल।
सूरज बांटे रोशनी,चित के पट को खोल।।
चित के पट को खोल,अन्धेरे डर कर भागेंगे।
सोये हुये हैं भाग्य तेरे तो वो भी जागेंगे।।
कह श्री कविराय,यहां सब होगें अब खुशहाल,
सबकी खातिर खुशियां लेकर आया है नया साल।।