नया साल
नया साल
कितना अजीब है
ये साल बदलने का सिलसिला
वैसे तो जनवरी से दिसंबर का
कितना लंबा ये फासला…?
मगर सोचो तो बस
एक पल की है ये दूरियां
दिसंबर से जनवरी की
देखो है कितनी नजदीकियां…!
ये सालो साल का है
हर किसी के जिंदगी का सफर
खट्टा मीठा हँसते रोते
जैसे भी हो मगर जाता है गुजर
‘अशांत’ शेखर
31/12/2023