नया साल
नयापन नहीं है ये फिर भी नया है
नये साल की ये पुरानी अदा है
जी बारह महीने गुज़र साल जाता
पुराना चला आ रहा सिलसिला है
न तारीख बदली न कोई महीना
नये साल ने बस बदल सन दिया है
धरा या गगन पर न है कुछ नया सा
नया साल है पर पुरानी फ़िज़ा है
नये साल की सबको देकर मुबारक
खुशी से इसे भी मनाया गया है
न यादें कभी छोड़ती सँग हमारा
मगर वक़्त वापस नहीं लौटता है
भला चाहिए क्या हमें ज़िन्दगी से
यही खुद से भी पूछती ‘अर्चना’ है
01-01-2023
डॉ अर्चना गुप्ता