नया साल 2018
साल दर साल बस यही एक कहानी ,
एक वो अजनबी और कुछ यादे पुरानी
तुमने यादो को छोड़ कर जाना नही सिखाया
दिल फिर से धड़क उठा जब खत्म हो गयी कहानी
ये दिसम्बर की भीगी रातो में मन बेचैन बना बैठा है
इस साल की भी हो गयी अब उम्र पुरानी
कल फिर से नए साल ने देंगी जब दस्तक
ये तो भारत की है ही रीत पुरानी
जनवरी की भी स्वागत होगी यहाँ बेगानी
अपना तो है ही अंदाज पुरानी ।।
:-हसीब अनवर