नया साल इतनी खुशी ले के आए।
गजल
122……122……122…..122
जमीं चाँद सूरज गगन जगमगाए।
नया साल इतनी खुशी ले के आए।
विविध खुशबुएं भी हों फैली फ़िजा मे,
खिलें फूल- गुलशन भ्रमर गुनगुनाए।
हँसी आम जनता की पहुँचे महल तक,
खुशी से भी जब झोपड़ी मुस्कुराए।
खुशी की खड़ी हों अनेकों मीनारें।
यहाँ तक के गम की भी छाया न आए।
दुखी दीन है मुफलिसी के जो मारे,
सभी को नया साल खुशियाँ दिखाए।
जुड़े देश दुनियाँ हमारे सृजन से,
गजल गीत मुक्तक सभी गुनगुनांए।
बँधें प्रेम बंधन में प्रेमी से अपने,
ये जीवन की बगिया खिले मुस्कुराए।
……..✍️ प्रेमी