नया साल।
साँस आखिरी भर रहा, जाने वाला साल
जो आया वो जाएगा, यही काल की चाल
पहला दिन है साल का, भीगी भीगी भोर
फिर सपनों के गाँव मे, नाचा मन का मोर
दुख से रक्खें दूरियाँ , रहें आप खुशहाल
बहुत मुबारक आपको, नया नया ये साल
आने वाले साल में, पूरे हों सब काम
रहे सुनहरा हर दिवस, और रुपहरी शाम
यादों से रहता सदा, मन ये मालामाल
इन्हें बढ़ाने आ रहा, और नया इक साल
चलती अपने साथ है, यादों की बारात
कहीं गुनगुनी धूप है, कहीं अँधेरी रात
बदल गया है साल का, केवल देखो नाम
वही महीने और दिन, वही सुबह औ शाम
30-12-2017
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद