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15 Oct 2020 · 1 min read

नया जब सफ़र है नई ज़िन्दगी है

नया जब सफ़र है नई ज़िन्दगी है
नये रास्तों की कहानी नयी है

बड़ी मुद्दतों बाद अब वो मिली है
मिली ज़िन्दगी जब लगी अनमनी है

सफ़र पर हैं दोनों अभी दूर मंज़िल
कहानी वफ़ा की अभी अनलिखी है

कई लफ़्ज़ शायद लबों पर रखे हैं
कोई बात अब तक रही अनकही है

कहीं एक बच्चा ज़रा मुस्कुराया
बता दो समझ लो यही ज़िन्दगी है

लगी जीत आसां तभी हार पाई
मुक़द्दर की कैसी ये बाज़ीगरी है

रची साज़िशें वक़्त ने इस तरह से
ख़ुशी जिसको समझा सज़ा की घड़ी है

कभी एक दीपक जलाकर तो देखो
उजालों के आगे कहाँ तीरगी है

न ‘आनन्द’ बदला न बदले हैं तेवर
ये किरदार उसका अभी तक वही है

– डॉ आनन्द किशोर

2 Likes · 1 Comment · 529 Views
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