नया उजाला
” नया उजाला ”
डूबोगे तुम,
पानी को दोष दोगे…
मंजिल नहीं मिलेगी,
तो किस्मत को दोष दोगे…
गलती आंख की है,
ठोकर लग गई…
संभलने की बजाए
पत्थर को दोष दोगे…
जमाने की सुनोगे,
तो पीछे रह जाओगे…
आकर फिर तुम,
जमाने को दोष दोगे…
लोग अजीब हैं,
हंसेंगे तुम पर…
जब भीड़ में तुम,
अकेले उद्घोष दोगे…
गिर, उठ, चल,
जमाने को दिखला दे…
तू मोम नहीं है ,
अंगारों को पिघला दे…
रुक मत बढ़ा कदम,
छू ले ऊंचाइयों को…
पी ले समाज में घुली,
जहर सी बुराइयों को…
सूरज को तू धूल चटाकर,
अंधेरे को जड़ से हटा दे…
प्यार की फिर शमा जलाकर,
एक नया उजाला ला दे…
मृत्युंजय सिसोदिया
9549403468
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