*नयन में नजर आती हया है*
नयन में नजर आती हया है
************************
बता दूँ जरा छाया नशा है,
हृदय में बहुत हल्ला मचा है।
कभी भी नहीं सीखा सिखाया,
कदम दर कदम खाई खता है।
चली है पवन शीतल नशीली,
गगन में मगन मौसम्म नया है।
गिरी है पलक झुकती निगाहें,
नयन में नजर आती हया है।
परी सी झलक न्यारी तुम्हारी,
गले गर लगो हम पर दया है।
ज़ख्म यार मनसीरत न भरता
बनी ही नहीं ऐसी दवा है।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)