नयन मीन सम जल भरे….
सहती दारुण दुख अकथ, रहती अविचल मौन ।
नारी-व्यथा अथाह अति, बाँचे उसको कौन ।।
नयन मीन सम जल भरे, अधर थिरकता हास ।
देवी त्याग – ममत्व की, जिये विरोधाभास ।।
-© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
“तारुष” से
सहती दारुण दुख अकथ, रहती अविचल मौन ।
नारी-व्यथा अथाह अति, बाँचे उसको कौन ।।
नयन मीन सम जल भरे, अधर थिरकता हास ।
देवी त्याग – ममत्व की, जिये विरोधाभास ।।
-© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
“तारुष” से