नयन के मेघ
नयन के मेघ मिलते ही बरस जाएं तो होली हो।
विरह के फूल खिलने को तरस जाएं तो होली हो।
स्वयं प्रियतम की मूरत हो या फिर हो ग्रंथ यादों का,
हृदय के स्वर्णमंदिर में जो बस जाएं तो होली हो।
संजय नारायण
नयन के मेघ मिलते ही बरस जाएं तो होली हो।
विरह के फूल खिलने को तरस जाएं तो होली हो।
स्वयं प्रियतम की मूरत हो या फिर हो ग्रंथ यादों का,
हृदय के स्वर्णमंदिर में जो बस जाएं तो होली हो।
संजय नारायण