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23 May 2024 · 1 min read

नयनजल

कुण्डलिया
~~
कभी नयनजल बह रहा, लेकर मन की बात।
कभी विरह की वेदना, लेकर सारी रात।
लेकर सारी रात, अश्रु जब छलका करते।
होता समय व्यतीत, दृगों को मलते मलते।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, बहुत है अश्कों में बल।
किन्तु बहे न व्यर्थ, देखिए कभी नयनजल।
~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

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