नयका साल मुबारक
बीत गयल जे बीते वाला साल तोहें मुबारक ।
फिर से आयल नयका चुड़ा भात तोहें मुबारक ।
फिर से आई खिचड़ी मंटर गोभी संग छउँकाई ।
नयका फगुआ सरसो संगे माहो लेहले आई ।
तीसी मसुड़ी दुन्नो संगवे फिर से ली अंगड़ाई ।
गेंहू के भी लागे असों दाम अकाशे जाई ।
ससुरारी के ढूंढा तिलवा , लात तोहें मुबारक ।
फिर से आयल नयका चुड़ा भात तोहें मुबारक ।
बुढ़िया माई के नईहर से नयका आलू आई ।
बईठ दुआरे कउड़ा बारी आलू भुज खवाई ।
सिलबट्टा के अगुआई से मंटर बनी निमोना ।
धनिया अउर टमाटर के फिर स्वाद भेटाई दूना ।
देखनहरुन के आवाजाही घात तोहें मुबारक ।
फिर से आयल नयका चुड़ा भात तोहें मुबारक ।
✍️ धीरेन्द्र पांचाल