नम हवा चल रही
नम हवा चल रही (ग़ज़ल)
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नम हवा चल रही है यहाँ,
आरजू जल रही है यहाँ।
चाहकर भी मिले हम नहीं,
कामना पल रही है यहाँ।
खो गए हो सनम तुम कहाँ,
जिंदगी ढल रही हैं यहाँ।
छोड़कर चल दिये हो जहां,
रूह भी छल रही है यहाँ।
मान सीरत जरा बात तुम,
भावना फल रही है यहाँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)