नम्बर ह बखोर के
बहुते बा अंधरिया
अब नंबर ह अजोर के
अब सबके सन्ति एक बोलिहे
नम्बर ह बखोर के
दिन भर त मुँह बोले
रतियों में भी बड़बड़
आहि दादा कैसे होता
रहि – रहि गड़बड़
बड़बड़ाईल सुनि के साँस टंगी
राति वाले चोर के
अब सबके सन्ति एक बोलिहे
नम्बर ह बखोर के
मुँह बड़ा तेज बाटे
आँखि में परकाश बा
मुँहे पे मीठ – मीठ
आड़े बकवास बा
दिन बीते, रात बीते
और समय बीते भोर के
अब सबके सन्ति एक बोलिहे
नम्बर ह बखोर के
जुरंते पलट जालिन
कवनो बतिया कहि के
पानी में से घिउ निकालें
खूबे महनी से महि के
सरसोईया साक -पाक बनें
सूपा के हलकोर के
अब सबके सन्ति एक बोलिहे
नम्बर ह बखोर के
– सिद्धार्थ गोरखपुरी