#रुबाइयाँ
दृष्टिकोण जैसा होता है , वैसे मंज़र दिखते हैं।
लेखक को कलम दिखाई दे , रिपु को खंज़र दिखते हैं।।
अपनी रुचि की बातें करते , रुचि-रुचि सम मिल जाती है;
बिन रुचि के सब दुश्मन जैसे , खग को पंजर दिखते हैं।।
औरों की फ़ितरत नीयत पर , रहना दूर निराशा से।
खुद बदलेंगे देख तुझे ख़ुश , देखो तुम प्रत्याशा से।।
सही समय पर उचित दिशा में , चलना सबको आएगा;
संसार चले लिए हौसला , अविरल गति इस आशा से।।
समझाओ तुम एक उसी को , जिसे समझ में आता है।
भैंस समुख बीन बजाने से , मानव समय गँवाता है।।
सही जगह पर नेक कर्म में , उर्जा का उपयोग करो;
तरु को सींचा जाएगा तो , इकदिन फल मिल पाता है।।
#आर.एस.’प्रीतम’
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