नमस्कार बार बार
प्रभु मूरत हर उगते सूर्य में
हर फूल में हर किसलय में
हरी घास पर ओसकणों में
मेरे मन की हर धड़कन में
भोले भाले हर बचपन में
मेरे तेरे हर प्रियजन में
प्रभु मूरत देखो जन जन में
व्याप रहा वह कण कण में
कैसे, क्यों हो किस से धृणा ?
बसे सभी में एक ही आत्मा
भारत प्रभु का प्यारा देश
मांगे प्रभु से यहीँ अशीष
बना रहे बस सब में प्यार
आपस में हो सब भाईचारा
दे दो सब को सुमति साकार।
नमस्कार प्रभु बारम्बार
बारम्बार हां बारम्बार।
नमस्कार हर बार
बार बार……….