नमक
दाल में
चुटकी भर नमक की
घट- बढ़,
पल में पहचान लेते हो तुम…
फिर क्यों
जीवन भर साथ रहकर भी
नहीं पहचान पाते तुम
मेरे आंसुओ का
नमक।
मंजूषा मन
दाल में
चुटकी भर नमक की
घट- बढ़,
पल में पहचान लेते हो तुम…
फिर क्यों
जीवन भर साथ रहकर भी
नहीं पहचान पाते तुम
मेरे आंसुओ का
नमक।
मंजूषा मन