नमकास (कुंडलिया)
नमकास (कुंडलिया)*
अतिशय है सबकी बुरी,क्या मिठास नमकास
जीवन में हो संतुलन ,दोनों का कुछ खास
दोनों का कुछ खास ,गृहस्थी मिलकर चलती
सिर्फ #प्रीति या बैर , हमेशा रहती गलती
कहते रवि कविराय , रखो खटमिठ्ठा निर्भय
जीवन का आनंद , नहीं कह पाता अतिशय
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नमकास = शुभ्रा मिश्रा जी द्वारा ईजाद किया गया शब्द ,नमकीन
प्रीति = प्रेम ,आनंद ,संतोष
अतिशय = अत्यधिक
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451