नबकनियाँ
नबकनियाँ
मोन रखियौ कनेक हमरो पिया
सोलहो सिंगार कए बैसल छी हम एसगर
भेंट होएब कहिया अहॉ मोन मे आस लगेने
अहॉक बाट तकैत छी हम एसगर।
कौआ कूचरल भोरे-भोर
चुपेचाप हमरा केलक सोर
कहलक जल्दीए औतहुन तोहर ओझा
लिपिस्टीक लगा हम रंगलहुॅ अपन ठोर।
परदेश जाइत-मातर यौ पिया
किएक बिसैर जाइत छी नबकनियॉ के
नहि बिसरब कहियो परदेश मे हमरा
सपत खाउ हमरा पैरक पैजनीयाँ के।
जूनि रूसू अहॉ सजनी नहि घबराउ यै
मोन पड़ैत छी अहॉ तऽ लगैत अछि बुकोर यै
मुदा कि करू नहि भेटल तनखा समय पर
नहि किनलहुॅ अहॉंक लेल लहंगा पटोर यै।
साड़ि पहिर हम गुजर कए लेब
नहि चाहि हमरा राजा लहंगा पटोर यौ
अहॉक सुख-दुख मे रहब सहभागी
देखितहुॅं अहॉ के ऑखि सॅ झहरैत अछि नोर यौ।
अहिंक बियोग मे दिन राति जरैत छी
इजोरिया मे टुकूर-टुकूर अहिं के देखैत छी
अहिंक संग एहि बेर घूमब चैतीक मेला
मोने मोन हम एतबाक नियार करैत छी।
बड्ड केलहुॅं नियार अहॉ आबि कऽ देखू
मुस्की माइर रहल छी हम चौअनियॉं
जल्दी चलि आउ गाम यौ पिया
चिªट्ठी लिख रहल अछि एकटा नबकनियाँ।
लेखक:- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)