नफ़रत
नफरत से अब नफरत न कीजिए
नफरत को भी भरपूर सम्मान दीजिए,
कुछ नहीं मिलेगा नफरत से नफ़रत करके
नफरतों को अपनी मुहब्बत का पैगाम दीजिए।
क्या मिला या मिल रहा है
नफरतों की मीनार बनाकर
कौन सा आपके मान सम्मान में
दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी हो रही है।
जब सब कुछ पता है आपको
तब नफरत के पीछे हाथ धोकर
पीछे पड़े रहने की भला आपकी मजबूरी क्या है?
जो भी है अब तो थोड़ी समझदारी दिखाइए
नफरत को नफरत से नहीं
किसी नये अंदाज में मिटाइए,
प्यार मोहब्बत के रंग से
नफरत की दीवार को रंगीन बनाइए,
नफरत को नफरत से नहीं
अपने अंदाज में नये रंग रुप में सजाइए,
नफ़रतों पर कुछ तो रहम खाइए
उसका भी थोड़ा मान सम्मान बढ़ाइए
और खुद भी कुछ और नाम तो कमाइए।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश