नफ़रत की फ़सल
हमने जो कभी नफ़रत की फसल बोई थी
उसमें तो तेजाबी फल ही आएंगे!
खाकर उन फलों को आने वाली नस्लों के,
चेहरे तो बदसूरत हो ही जाएंगे!!
वैसे पहले ही बहुत कुछ ख़त्म हो चुका है
हिंदू-मुस्लिम के लफड़े में हमारा!
कम से कम अपनी गैरत तो बचा लें हम
वर्ना दुनिया को क्या मुंह दिखाएंगे!!
Shekhar Chandra Mitra
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